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सरकार का प्रयास है कि रॉ मैटीरियल के रेट में वृद्धि का बोझ किसानों पर न पड़े। इसलिए वो सब्सिडी का और भार उठाने की तैयारी कर रही है। बताया गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों के रॉ मैटीरियल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। क्योंकि फॉस्फेटिक और पोटेशियम उर्वरकों की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। खाद कंपनियों के मुताबिक रॉ मैटीरियल काफी महंगा हो गया है। कनाडा, चाइना, जार्डन, मलेशिया इंडोनेशिया और अमेरिका से भी खाद का रॉ मैटीरियल आता है।
कितनी है खाद सब्सिडी : पिछले कुछ वर्षों से उर्वरक सब्सिडी 80 करोड़ रुपये के आसपास होती थी। लेकिन रॉ मैटीरियल के बढ़ते दाम की वजह से डीएपी का दाम लगभग डबल हो गया था। इसलिए सरकार ने भारी सब्सिडी देकर किसानों को राहत दी। लेकिन इससे 2020-21 में उर्वरक सब्सिडी 1।28 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी। इसके बाद फिर रॉ मैटीरियल के दाम में तेजी आई तो भी सरकार ने निर्णय लिया कि इसका असर किसानों पर नहीं पड़ने दिया जाएगा। इस तरह 2021-22 में यह इससे भी अधिक हो गई। बताया जा रहा है इस बार यह सब्सिडी 1।4 से 1।5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी।
नीति आयोग की बैठक में उठा था मुद्दा : मवार 25 अप्रैल को नीति आयोग द्वारा विज्ञान भवन में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) पर आयोजित बैठक में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने फर्टिलाइजर सब्सिडी का मुद्दा उठाया था। कृषि विशेषज्ञों ने कहा था कि कुछ समय में फर्टिलाइजर सब्सिडी 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जिस प्रकार हरित क्रांति के लिए किसानों को रासायनिक खाद पर सब्सिडी और अन्य सहायता उपलब्ध कराई गई उसी प्रकार प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन देना और सहयोग करना आवश्यक है।
यूरिया, डीएपी पर कितनी सब्सिडी : पिछले दिनों ने रसायन एवं उवर्रक मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में कहा था कि सरकार का प्रयास है कि किसानों को यूरिया सहित विभिन्न उर्वरक पर्याप्त मात्रा में और सही दाम पर मिले। इसके लिए सब्सिडी का पूरा भार उठा रही है। मांडविया ने बताया था कि कई देशों में यूरिया की कीमत (Urea Price) लगभग चार हजार रुपये प्रति बोरी है, जबकि इंडिया में इसका दाम 266 रुपये है। इसी तरह डीएपी पर सरकार प्रति बोरी 2650 रुपए की सब्सिडी दे रही है।