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बसंत पंचमी पर करें यह अचूक उपाय, याद रहेगा पढा-लिखा, भूलने की आदत से मिलेगी निजात!

  • 14-Feb-2024
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वीणावादिनी मां सरस्वती विद्या और ज्ञान की देवी है. मां सरस्वती की पूजा करने बसंत पंचमी का दिन विशेष होता है. ऐसे विद्यार्थी जिनको हकलाना, तुतलाना, याद नहीं होना जैसी समस्या है. वैसे विद्यार्थी जो मंजिल के पास पहुंच कर सफल नहीं  हो पाते है  उनके लिए बसंत पंचमी पर विशेष उपाय करना चाहिए. इस दिन मखाने की 108 मनको की माला अर्पित करने के उपाय का महत्व है.

Chhattisgarh News बसंत पंचमी पर करें यह अचूक उपाय, याद रहेगा पढा-लिखा, भूलने की आदत से मिलेगी निजात!

सागर के सरस्वती मंदिर के पुजारी पंडित यशोवर्धन चौबे ने कहा कि प्रातः काल से माता के पूजन के लिए पट्टा अभिषेक किया जाता है. भोजपत्र का सामानुभव किया जाता है. मखाने की माला चढ़ाई जाती हैं. जिनके लिए विद्या विन्यास में कोई कष्ट या रुकावट हैं, जैसे हकलाना, तुतलाना या याद नहीं हो रहा है. स्पष्टीकरण नहीं दे पा रहे हैं. लक्ष्य के पास पहुंचकर सफलता हासिल नहीं कर पा रहे हैं. मखाने की माला विशेष रूप से विद्यार्थियों विन्यास के लिए है.

 

लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मखानी की माला
विधार्थी का अर्थ वि+ आर्थी अर्थात वह सुनने वाला व्यक्तित्व जो हमारे मन मस्तिष्क को लक्ष्य की प्राप्ति करवाए. शुद्ध वर्ण ,शुद्ध आवरण की प्राप्ति करवाए. मखाने की माला विद्यार्थी के लिए होती है. जो अपने किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए होता है. लक्ष्य कोई भी हो सकता है यह नहीं कि मैं नौकरी प्राप्त कर लूं. परीक्षा में पास हो जाऊं किसी भी प्रकार का कोई भी लक्ष्य होता है.उदया तिथि के अनुसार, पंचमी तिथि 14 फरवरी बुधवार को हैं. इस बार 32 साल के बाद दुर्लभ संयोग है. क्योंकि, इस दिन रवि, शुक्ल शुभ योगों के साथ रेवती नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इन शुभ योगों में सरस्वती पूजन करने से दोगुना शुभ फल की प्राप्ति होगी.

 

ध्यान रखने योग्य बातें
पंडित चौबे बताते हैं कि मां सरस्वती की ऐसी प्रतिमा जो किसी ऊंचे आसन पर बैठी मुद्रा में हो, लेकिन पांव जमीन को छुएं. ऐसा प्रतिमा सागर स्थित सरस्वती मंदिर में है. यहां माला को समाहित करने का समय तय है. सूर्य अस्त होने से पहले इस माला को माता को समर्पित करना होता है. यहां पर मूर्ति का विशेष ध्यान रखा जाता है. भूल कर भी मखाने की माला, खड़ी प्रतिमा, माता के छाया चित्र, नामावली फोटो पर न चढ़ाएं. यह श्रद्धा का विषय है. इसलिए उपहास के रूप में माला समाहित न करें.

आचार्य के माध्यम से देवी से प्रार्थना करें
इसके साथ ही आपका जो विषय या मनोकामना है. वह माला लेकर मंदिर जा रहे हैं तो वहां के आचार्य या पुजारी के सामने माता-पिता की तरह विषय रखें. उन्हें बताएं कि वह क्या चाह रहे हैं और प्रार्थना करते हुए माता से निवेदन करें की उनका कार्य पूर्ण हो जाए. पूरे श्रद्धा भाव से वीणा वादनी को मखाने की माला समाहित करने से अवश्य ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी..