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4 तरह के होते हैं नारियल तेल-
1-ऑर्गेनिक नारियल तेल- इस तेल का निर्माण सीधा पेड़ से तोड़े गए नारियल से किया जाता है।
2-नॉन ऑर्गेनिक नारियल तेल- इस नारियल तेल के उत्पादन में किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
3-रिफाइंड नारियल का तेल- इसका निर्माण सूखे नारियल से किया जाता है।
4-नॉन रिफाइंड नारियल का तेल- इस तेल को वर्जिन कोकोनट ऑयल भी कहा जाता है। नॉन रिफाइंड नारियल तेल बनाने के लिए जिन नारियलों को चुना जाता है, उनसे 1-2 दिन के में ही नारियल तेल बना दिया जाता है। ज्यादातर नॉन रिफाइंड नारियल तेल का ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
नारियल के तेल से खाना बनाने के फायदे-
कोलेस्ट्रॉल करें कम-
नारियल तेल में लगभग 40 प्रतिशत लॉरिक एसिड होता है जो अन्य कुकिंग ऑयल में नाममात्र के लिए ही होता है। लॉरिक एसिड लॉन्ग चेन और मीडियम चेन फैटी एसिड के बीच इंटरमीडिएट की तरह होता है। लॉरिक एसिड बॉडी में ब्लड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है जो हार्ट के लिए अच्छा होता है।
अल्जाइमर रोग में फायदेमंद-
अल्जाइमर रोग ज्यादातर बुजुर्गों में देखा गया है दरअसल यह मनोभ्रंश यानी की याद्दाश्त कमजोर होने का एक बड़ा कारण है। इसमें दिमाग का कुछ हिस्सा एनर्जी के लिए ग्लूकोज का इस्तेमाल ठीक से नहीं कर पाता। नारियल तेल में मौजूद फैटी एसिड दिमाग को बूस्ट करने का काम करता है। इसीलिए नारियल का तेल याद्दाश्त को अच्छी करने में भी कारगर है।
वेट लॉस में मददगार-
बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में नारियल के तेल से बना खाना फायदा पहुंचा सकता है। यह वजन घटाने में मदद करता है। मोटापे से ग्रस्त 40 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक नारियल का तेल सोयाबीन के तेल की तुलना में बेली फैट को जल्दी कम करने में मदद करता है।
ब्लड लिपिड करता है मेंटेन-
नारियल तेल को कुकिंग ऑयल की तरह इस्तेमाल करने से यह ब्लड लिपिड को मेंटेन करने में मदद करता है। जिससे दिल संबंधी जोखिम का खतरा कम हो जाता है। एक अध्ययन में औसत आयु के लोगों के रूटीन की जांच की गई जिन्होंने खाने में नारियल का तेल, ऑलिव ऑयल और मक्खन का इस्तेमाल किया था। अध्ययन में पता चला कि जिन्होंने खाने में नारियल के तेल का इस्तेमाल किया उनमें एचडीएल यानी की गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ था।